Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

पहचान /Identity

हों झंझावात कितने भी 
टिके रहना मेरी पहचान है
जहां अपना लक्ष्य होगा 
वहीं अपनी जान है
किसी रोज है निशा डराती
किसी रोज ऊषा में उदासी
परंतु दिन अपना प्रयासों का पर्यायवाची
आखिर कभी तो सिर्फ आशा नहीं परिणाम होगा
तब इन संघर्षों का भी अपना मकाम होगा 
मेरे पंखों का एक दिन ऊंचा आसमान होगा 
हो विरले ही मेघ कितने 
बरस जाना मेरी शान है 
माघ, ज्येष्ठ ,पौष में से
सावन मेरी पहचान है ।
                     © " शैल " स्मृति





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