Posts

Showing posts from December, 2021

Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

silence

हंसती रही  कभी रोती रही मौन के शोरगुल में  मैं दिन रात सोती रही ।                           © "शैल" smriti

मम्मी

कभी कभी तुम्हारा फेवरेट गाना सुनते हुए  कभी कभी तुम्हारी फेवरेट डिश बनाते हुए दिन के कई कोनों में अब भी टटोलती हूं मैं तुम्हें ज़िंदगी के इस आंख मिचौली के खेल में  अब भी खोजती रोज हूं मैं तुम्हें  कभी कभी जोर से हंसने के ठीक बीच में  कभी कभी सड़क चलते खूब ट्रैफिक और तेज हॉर्न  के कारण मेरे माथे की भींच में  कभी कभी हारी हुई मैं और मेरी खीझ में यूं ही अचानक  मेरी आंखों में तैर जाती हो तुम जब तक पकड़ने चलती हूं तुम्हें  खैर चली जाती हो तुम बीती जो बातें तुम्हारी साथ  उन्हें यादों में रोज समेटती हूं मैं तुम्हें मां ! समेटी हुई इस यादों की तकिया में रोज लेके सोती हूं  मैं तुम्हें ।                                © "शैल" स्मृति