अरे शर्मा जी आप !?
कैसे आना हुआ ?
आइए ना
सुनती हो जी शर्मा जी आए हैं
(शर्मा जी बैठते हुए)
आप सब कुशल से हैं?
हां शर्मा जी आपका आशीर्वाद और दुआएं हैं
इस बार आप ईद पर भी नहीं आए (शिकायत करते हुए करीम चाचा ने कहा)
शर्मा जी ने एक फीकी हसी देते हुए बात टाल दी ।
तभी करीम चाचा ने महसूस किया की शर्मा जी कुछ असहज और चिंतित लग रहे हैं ।
क्या बात है शर्मा जी सब ठीक तो है ना?
हां चाचा आपको देख लिया अब सब ठीक है
शर्मा जी करीम चाचा की ओर सुकून से देखते हुए कहा ।
अच्छा चाचा अब मैं चलता हूं
ऑफिस में बहुत काम है
अरे बेटा अपनी चाची से तो मिलते जाओ
नहीं चाचा जरा जल्दी में हूं बस आप दोनो की खैरियत जान ली अब फिर आऊंगा फुरसत में
इतना कहकर शर्मा जी जो करीब १० साल पहले करीम चाचा के पड़ोसी हुआ करते थे जल्दी से निकल गए ।
परंतु शर्मा जी के इस झटपट विजिट से करीम चाचा सोच में डूब गए ।
करीम चाचा कुछ ज्यादा सोचते उससे पहले दूर बेल बज गई
करीम चाचा के दरवाजा खोला तो उन्हें विश्वास न हुआ की उनका बेटा सलीम जो 5 सालों से विदेश में था और कभी घर की ओर रुख ना किया सहन(मुख्य द्वार) पर वो खड़ा था ।
ऐसी एनेक्सपेक्टेड विजिट से करीम चाचा ने अपनी एक्सप्रेशन पावर कुछ मिनटों के लिए खो दी
।
सलीम भी समान स्थिति में ही था अनामाना और अचंभित सा ।
सलीम को गले से लगाते चाचा ने बोला बेटा इनफॉर्म तो कर देते आने वाले हो
सलीम अनमना सा घर में प्रवेश कर गया
और इधर करीम चाचा आज सुबह से घटित हर एक बातों के तालमेल मन में बैठाने का प्रयत्न करने लगे
सलीम कुछ 4,5 घंटे ही रुका होगा जिसमे उसने दिन का भोजन किया और सारा समय अपने कमरे में ना जाने किससे फोन पर लड़ता रहा ।
सलीम अगली ही फ्लाइट से वापस चला गया।
करीम चाचा और चाची आज के हर एक वाकए के विषय में चर्चा परिचर्चा कर रहे थे परंतु निष्कर्ष में
बस इतना समझ आ रहा था की शर्मा जी बहुत दुखी मन से आए थे और चेहरे पर संतुष्टि के भाव से लौटे
और सलीम संतुष्टि के भाव से प्रवेश कर खिन्न मन से लौटा आखिर ऐसा क्या था जो आज के गणित का हल न मिल पा रहा था ।।
हल था लेकिन लेकिन सायमा चाची के मन के भीतर
क्योंकि उन्होंने 2 दिन पहले ठाना था की वो जीवन के अंतिम मोड़ पर अपने पराए का भेद पता करना चाहती थीं
इसीलिए उन्होंने अपने किसी संबंधी से कहकर करीम चाचा के ना रह जाने की खबर कई लोगों तक पहुंचा दी थी ।।
परंतु जिन दो को फरक पड़ा वो थे अपने ( शर्मा जी) स्वार्थ रहित और पराए (सलीम) स्वार्थ सहित ।।
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