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Showing posts from July, 2021

Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

Hey ! Suno

हां! हां!  तुम्ही सुनो  तुम्हें फुरसत नहीं मिलती ना तो मैने सोचा मैं थोड़ा तुम्हारे लिए सोच लेती हूं तुम्हें नहीं लगता कभी कभी तुम थक गए हो  चलो थके नहीं होगे  तो charm जो तुम्हारा है ,वो कहीं खो रहे होगे । रोमांच जीवन में कहीं एक किनारे आलमारी के कोने में दबा हुआ होगा । सरपट सी दौड़ती जिंदगी में पक्का ब्रेक तो नहीं होगा Goals, success ,money , popularity etc इन सबके पीछे तो रोज़ चलते हो और चलते भी रहना  कुछ खुद को देना कुछ दुनिया को देके जाना  पर कभी कभी इस सबसे पहले खुद को लाना सोचो तारे गिने हुए कितने दिन हुए सोचो ! खुलकर हंसे कितने दिन हुए  सोचो ! किसी को हंसाए कितना दिन हुए कभी  बारिश के पानी में भीगो नहीं तो गिरती एक बूंद का पत्तों पर गिरकर चार बूंद बनते देखो  उन चार बूंदों को जमीन पर गिरकर दस बूंदें बनते देखो । एक दिन नहीं तो कम से कम मूमेंट्स तो दो खुद को  ऑनलाइन सेल मिल जाने पर नाच लो  नहाते तो रोज हो कभी कभी पानी को महसूस कर लो  खुशियों की वजह दीवारों , पर्दों ,खिड़कियों अरे यार कहीं से भी खोज लो । बस तुम खुद के लिए ह...

अपने पराये

अरे शर्मा जी आप !?  कैसे आना हुआ ?  आइए ना  सुनती हो जी शर्मा जी आए हैं  (शर्मा जी बैठते हुए) आप सब कुशल से हैं?  हां शर्मा जी आपका आशीर्वाद और दुआएं हैं  इस बार आप ईद पर भी नहीं आए (शिकायत करते हुए करीम चाचा ने कहा)  शर्मा जी ने एक फीकी हसी देते हुए बात टाल दी । तभी करीम चाचा ने महसूस किया की शर्मा जी कुछ असहज और चिंतित लग रहे हैं । क्या बात है शर्मा जी सब ठीक तो है ना?  हां चाचा आपको देख लिया अब सब ठीक है  शर्मा जी करीम चाचा की ओर सुकून से देखते हुए कहा । अच्छा चाचा अब मैं चलता हूं  ऑफिस में बहुत काम है  अरे बेटा अपनी चाची से तो मिलते जाओ  नहीं चाचा जरा जल्दी में हूं बस आप दोनो की खैरियत जान ली अब फिर आऊंगा फुरसत में  इतना कहकर शर्मा जी जो करीब १० साल पहले  करीम चाचा के पड़ोसी हुआ करते थे जल्दी से निकल गए । परंतु शर्मा जी के इस झटपट विजिट से करीम चाचा सोच में डूब गए । करीम चाचा कुछ ज्यादा सोचते उससे पहले दूर बेल बज गई  करीम चाचा के दरवाजा खोला तो उन्हें विश्वास न हुआ की उनका बेटा सलीम जो 5 सालों से विदेश में था...

🌚 moon visit

अरे ! आज रात की ही बात है  मैं चांद पर पहुंच गई  हां सच में  पर कुछ बदला नहीं वहां पहुंच कर भी  सपने में घर की याद आती रही ।                      ©    "शैल" स्मृति

सवाल

सवाल कुछ यूं था -  तुमने फतह तो बहुत की पर सुकून कितना मिला ? तुमने दुनिया तो बहुत समझी पर आईना कितना पढ़ा?               ©"शैल" स्मृति

पहचान /Identity

हों झंझावात कितने भी  टिके रहना मेरी पहचान है जहां अपना लक्ष्य होगा  वहीं अपनी जान है किसी रोज है निशा डराती किसी रोज ऊषा में उदासी परंतु दिन अपना प्रयासों का पर्यायवाची आखिर कभी तो सिर्फ आशा नहीं परिणाम होगा तब इन संघर्षों का भी अपना मकाम होगा  मेरे पंखों का एक दिन ऊंचा आसमान होगा  हो विरले ही मेघ कितने  बरस जाना मेरी शान है  माघ, ज्येष्ठ ,पौष में से सावन मेरी पहचान है ।                      © "  शैल " स्मृति