Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

बचपन/childhood

कभी हंसी बिखरती 
कभी मैं बिखर जाती 
अगले ही पल लेकिन ज़िंदगी संवर जाती 
गर सोते वक्त मां साथ सो जाती
क्या हैं रिश्ते कैसे है उन्हें निभाना
इन झमेलों से कोसों दूर इक जमाना
वो अपना बचपन अनजाना 
कभी रुकती 
कभी ठहर जाती 
अगले ही पल पंछी बन जाती 
आसमां के तारे खुद गिनती और गिनवाती
गर सोते वक्त मां भी आ जाती 
क्या है छल क्या है दोष
ना होता किसी बात का रोष
स्वार्थ रहित,खुशियों का कोष
वो अपना बचपन प्यारा दोस्त ।।      
                     © 'Shail' Smriti





Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Sister

Hey ! Suno

रिश्ते : एक अहम हिस्सा