Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

A pleasant home coming

मृणाल की मृणालिनी ने मृणाल से है कुछ कहा
तुम्हारा ये ढंग रंग ,भंग शांति कर रहा ।
है क्या खास राज आज तुमने जो न कहा !!
खिले खिले हिले मिले ये भाव तुम्हारा क्या कह रहा ??
मृणालिनी के मृणाल ने मृणालिनी से अब कहा !!
इस कंज को तंज का रंज अब ना रहा ,
कि अपनी इस वसुधा पे सुधा विधा से हैे रस बहा ,
हे व्रतिनी ! सुहासिनी ! मृणालिनी !
कि बरस बरस पे सरस सरस आगमन
माँ का है हो गया ।।
                                   -स्मृति तिवारी
                                (Meri Lekhani se)

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