Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

भले ही ! मुझे

भले ही !
मुझे ,
आंधियों से बह के यहां से गुजर जाना हो ।
बारिश सा बरस के कहीं बह जाना हो ।
आग सा दहक कर इक दिन बुझ जाना हो ।
सूरज सा उग के डूब जाना हो ।
सावन की हरियाली सा मुझे इक दिन बीत जाना हो ।
झरनों सा गिर के बस खो जाना हो ।
उड़ती पतंग सा बीच रस्ते कट जाना हो ।
पतझड़ सा बस गिर जाना हो ।
मेंहदी के रंग सा उतर जाना हो ।
मिट्टी के बर्तन सा बिखर जाना हो ।
बच्चों के जैसे डर के छुप जाना हो ।
फूलों की तरह इक दिन मुरझाना हो ।
दिशाओं सा मुझको बस ठहर जाना हो ।

पर !

मैं ही वो पंछी हूं

जिसे नीड़ के निर्माण में कभी ना हारना हो ।।

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