Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

Pollution

"इन हवाओं में घुली फिज़ाओं से गर मुलाकात हो
फूलों के साथ मेरे भी खिलने की शुरुआत हो
धूप पड़ते पत्तों का दर्पण सा एहसास हो
फिर ओस की बूंदों से मेरा श्रृंगार हो
खेतों की हरियाली की चूनर मैं ओढूं
काली घटाओं को आंखों में मैं भर लूं
बारिश की छम - छम की पायल मैं पहनूं
महकी मिट्टी का इत्र मैं छिड़कूं
झरनों के कल - कल की चूड़ी मैं पहनूं
कोयल की कूक सी हर पल मैं चहकूं
श्वेत हंस पर जैसे धूप वैसी मै चमकूं "
कुछ ऐसे ही ख्वाबों के साथ प्रकृति रूपी नारी है अपनी निशा के सपनों में मगन
और भोर की आगोश में काले बादलों से भरा है गगन
अहा ! उसकी वेदना ! अब वो जाग गई ,
जागते ही असलियत से वाक़िफ होकर
अपने सुंदर ख्वाबों को सपनों में ही त्याग गई ।।
                                                                                    -   
- © SMRITI TIWARI

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