Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

Inner motivation

ना हार तू ना हो भयभीत तू
संघर्ष के कर्म से लिख दे बस जीत तू ,
तू बस चल फिर देख,
मंजिल तेरी और मंजिल की तू ।।
जो तू है भयभीत , तो सुन ले मन की चीख
तू ले इस ज्वाला से सीख, फिर रच दे नयी रीति
ठहरे मुसाफिर को मिला है आज तक क्या यहां?
जो कदमों में हो साहस तो पत्थरों में दम कहां?
इन रास्तों के कांटों को कर दे पुष्प में अब तब्दील तू ,
संघर्ष के कर्म से लिख दे बस जीत तू ।।
रास्तों में देख ज़रा दरिया का विस्तार
इसी तरह अपने ओज से भर दे तू संसार
तुझ सी शक्ति को है रोक पाया कौन यहां?
जो तुझमें ही है ओज तो अंधेरों का ग़म कहां?
इस दरिया के सीपों के मोती को अब दे बिखेर तू ,
संघर्ष के कर्म से लिख दे बस जीत तू ।।
                        
                             -  स्मृति तिवारी (मेरी लेखनी से )

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