Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

स्त्री

सुकून !गर्मी की पुरवाई सी
नटखट!पनघट की रुसवाई सी
सुरीली !बिस्मिल्लाह की शहनाई सी
शांत !गहरी खाई सी
चंचल !कोयल आँगन में आयी सी
शर्मीली !दुल्हन सजायी सी
गंभीर !समुद्र की गहरायी सी
सुलझी !कमल के पत्तों पे पानी की तराई सी
उलझी ! बया के नीड़ की बुनाई सी
क्रोधी !आग दहकायी सी
दयावान !गंगा उफनायी सी
धीर !आकाश की ऊँचाई सी
प्रेमी !बचपन की लरकायी सी
मधुर !लड्डू की मिठाई सी
खुश ! रात चाँदनी से सजायी सी
ये है ईश्वर की चारमोत्कर्षित कृति
                  " स्त्री "
सुन्दर !ताज़महल के नक्काशों की मढ़ाई सी ।।             

© ' Shail ' Smriti 

           मेरी लेखनी से

Comments

  1. Bahot sundar panktiyan... Women 's day ki shubhkamnaye....

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