Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

रग़बत ( कुछ उर्दू हो जाए )

आज कल जश्न-ए-जहाँ  में लोग मुश्तक़बिल को बेहतर करने की होड़ में
जो ख़िदमत न करे उससे भी रग़बत लगाये बैठे हैं,
और एक हम हैं कि रग़बत पे ही अपना
सारा मुस्तक़बिल सजाये बैठे हैं ।
हम तो अपने ही नहीं लोगों की इश्तियाक़ से भी वाकिफ़ हैं ज़नाब
हमने बस अपने फ़हम से ही तो नहीं कोरे कागजों पे अल्फ़ाज़ पिरोये बैठे है।
हम तो कहते हैं खोज लीजिये  खुशियाँ यूँ बेज़ार न रहिये आप 
देख लीजिए हमको ही हम तो रग़बत ही खुशियों से लगाये बैठे हैं ।।
                                      " shail " स्मृति 
                                Meri lekhani se
   

Comments

Popular posts from this blog

Sister

Hey ! Suno

रिश्ते : एक अहम हिस्सा