Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

कौन है ये राज़ !

वो चिड़िया सा चहचहाना ,
वो इत्र सा महकाना,
वो पनघट की भरी गगरी सा छलक आना ,
वो कभी -कभी आग सा दहक जाना ,
वो बारिश सा बरस जाना ,
कुछ ऐसे है घर पे उसका पहरा
कि उसके हर भाव का घर में है असर गहरा /
जब भी होती है वो खामोश
तो सन्नाटा खोल देता है घर के लिए अपनी आगोश
दौड़ पड़ते हैं सभी
मिटाने को उसका रोष /

कौन है ? जो है घर की रौनक ?
कौन है ? जो घोलता है घर के हर पल में खनक ?

अरे ! ये क्या ?
उसकी आँखों से मोती गिरने वाला ही  था ,
पर शुक्र है माँ के आँचल की शक्ति का ,
जो रोक लिया उसने ये मोती
वरना आज तो घर इस मोती में डूबने वाला ही था /

भला ऐसा कौन है ?
जिसकी वेदना एवम् उत्साह में पूरा घर है शामिल ?
भला ऐसा कौन है ?
घर का एक -एक कण है जिसका कामिल ?

आज खिड़की किनारे वो बैठी है कुछ उदास ,
घर को ये बात बिल्कुल नहीं आ रही रास ,
तो माँ ने खोल दी है उसके लिए अपनी ममता भरी पाश ।

अब तो परिचय दे ही दो ,
आखिर कौन है ??
घर के लिए इतना खास !!
अच्छा ....................... !!
तो घर की बेटी है ये राज़ //

वो चिड़िया सा चहचहाना
वो इत्र सा महकाना ,
वो पनघट को भरी गगरी सा छलक आना ,
वो कभी -कभी आग सा दहक जाना ,
वो बारिश सा बरस जाना ///

           Meri lekhani se - Smriti tiwari

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