कौन है ये राज़ !
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वो चिड़िया सा चहचहाना ,
वो इत्र सा महकाना,
वो पनघट की भरी गगरी सा छलक आना ,
वो कभी -कभी आग सा दहक जाना ,
वो बारिश सा बरस जाना ,
कुछ ऐसे है घर पे उसका पहरा
कि उसके हर भाव का घर में है असर गहरा /
जब भी होती है वो खामोश
तो सन्नाटा खोल देता है घर के लिए अपनी आगोश
दौड़ पड़ते हैं सभी
मिटाने को उसका रोष /
कौन है ? जो है घर की रौनक ?
कौन है ? जो घोलता है घर के हर पल में खनक ?
अरे ! ये क्या ?
उसकी आँखों से मोती गिरने वाला ही था ,
पर शुक्र है माँ के आँचल की शक्ति का ,
जो रोक लिया उसने ये मोती
वरना आज तो घर इस मोती में डूबने वाला ही था /
भला ऐसा कौन है ?
जिसकी वेदना एवम् उत्साह में पूरा घर है शामिल ?
भला ऐसा कौन है ?
घर का एक -एक कण है जिसका कामिल ?
आज खिड़की किनारे वो बैठी है कुछ उदास ,
घर को ये बात बिल्कुल नहीं आ रही रास ,
तो माँ ने खोल दी है उसके लिए अपनी ममता भरी पाश ।
अब तो परिचय दे ही दो ,
आखिर कौन है ??
घर के लिए इतना खास !!
अच्छा ....................... !!
तो घर की बेटी है ये राज़ //
वो चिड़िया सा चहचहाना
वो इत्र सा महकाना ,
वो पनघट को भरी गगरी सा छलक आना ,
वो कभी -कभी आग सा दहक जाना ,
वो बारिश सा बरस जाना ///
Meri lekhani se - Smriti tiwari
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