Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

कुल्हड़ में खुशियाँ

पीतल के तल्ख़ तले जब टूटती हैं अदरक की गाँठे ,
तो अजनबी भी बनके मित्र करते हैं आपस में बातें ;
इधर जैसे घुलती है चीनी की मिठास ,
उधर मंदिर में होता है पूजा का आगाज़,
तो कहीं पूरी होती है नमाज़ ,
कहीं होती है अरदास ;
अहा ! चाय की पत्ती का गहरा सा रंग ,
देता है सबको कुछ ऐसे ढंग ,
ताकि हर कोई पूरी कर सके अपने दिन भर की जंग ;
इलायची की भीनी सी महक ,
लाती है चेहरे पे दिन की पहली चहक ;
उगते विहान में अखबार की गरमा -गरम ख़बरें,
और हाथ में हम चाय को पकडे ;
सूरज की रिमझिम धुप  से खिल उठी हैं नन्ही सी कलियाँ ,
अरे!हमारे यहाँ चाय नहीं बल्कि छनती हैं कुल्हड़ में खुशियाँ //
Meri lekhani se -smriti tiwari

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