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Showing posts from August, 2017

Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

कौन है ये राज़ !

वो चिड़िया सा चहचहाना , वो इत्र सा महकाना, वो पनघट की भरी गगरी सा छलक आना , वो कभी -कभी आग सा दहक जाना , वो बारिश सा बरस जाना , कुछ ऐसे है घर पे उसका पहरा कि उसके हर भाव का घर में है असर गह...

कुल्हड़ में खुशियाँ

पीतल के तल्ख़ तले जब टूटती हैं अदरक की गाँठे , तो अजनबी भी बनके मित्र करते हैं आपस में बातें ; इधर जैसे घुलती है चीनी की मिठास , उधर मंदिर में होता है पूजा का आगाज़, तो कहीं पूरी होती...