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Showing posts from November, 2021

Sister

दीदी तो मां जैसी  होती  है  और  उसका  प्यार  ममता ही होती  है  उसकी डाँट पापा जैसी  उसकी सलाह दादा जैसी  वो हमजोली  भी दोस्त जैसी होती है  उसकी बातें बिल्कुल मेरे मन जैसी होतीं  हैं  और उससे दूरी कुछ  ग्रहन जैसी  होती है  अखिर जो  सबकुछ पूरा  कर दे  जिसमें  हर रिश्ता हो  वो बहन ही तो होती  है  मेरी दीदी भी मुझे माँ जैसी लगती  है।                                      With love :)                                                       Your brother                                                        ...

कभी - कभी हम सभी !

ये शामें अनकही एक डर अंदर गुम कहीं चल पाऊं ना सही  उमंगे भी तमाम  पर डर है रह जाऊं ना यहीं यूं तो रुकती मैं नहीं पर अब भी हूं वहीं  मैं भागूं कुछ घड़ी  पर ठहरी सी रही  कह दूं क्या जो है सही जो फुरसत में रहो  तो सुनना तुम कभी चलो हंस दूं  पर मन खुश नहीं लेकिन गर चेहरे पर हो हंसी  मन कोई झांगेगा ही नहीं चलो चलते हैं फिर वहीं  जहां शायद मैं भी मैं नहीं ।                             "  शैल " स्मृति